समस्याओं का समाधान बहुत ही आसान हैं ।
कल १६ मई को लोकसभा चुनाव का परिणाम आ जायेगा । अगर एग्जिट पोल के परिणामों को माने तो नरेंद्र मोदी का प्रधान मंत्री बनना तय माना जा रहा हैं लेकिन अब जो बात महत्वपूर्ण है वो ये हैं किआखिर देश में जो समस्याओं का पहाड़ खड़ा हैं उसको नरेंद्र मोदी कैसे पार करेंगे । समस्याएं भी ऐसी हैं की इसमें बहुत सी समस्याओं को खत्म करने के लिए कठोरतम कानून बनाने की जरूरत पड़ेगी और ऐसे में क्या उनकी पार्टी या एन डी ऐ की सहयोगी पार्टियों के सत्ता लोलुप अवसरवादी सांसद या अपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद वैसे किसी कानून का संसद में समर्थन करेंगे?हमारे देश में जहाँ लोगों को इतनी चर्बी चढ़ी हुई हैं कि एक ऑटोवालें को ३५ रूपया देने के बजाय मार दिया जाता हैं, और एक टोल बूथ पर टोल जमा करने वाले साधारण से आदमी को १८ रुपये देने के बजाय कोई उसे गोली मार कर चला जाता हैं।जहाँ वर्दी धारी सिपाही किसी साधारण नागरिक को इस लिए चलती ट्रैन से फेक देता हैं क्यूंकि वो साधारण व्यक्ति उस वर्दीधारी की ज्यादतियों का विरोध करने की हिम्मत करता हैं । ऐसे देश में बदलाव लाने के लिए इक्षा शक्ति की जरूरत होगी और नरेंद्र मोदी को अब्राहम लिंकन की तरह की इक्षा शक्ति दिखानी होगी, जिसने अमेरिका में गुलामी की प्रथा के उन्मूलन के लिए ऐसे कानून लागु किये जिसके बिरोध स्वरूप अमेरिका के सिविल वॉर में १० प्रतिशत लोगों की जाने गयी लेकिन अब्राहम लिंकन ने इन बातों की परवाह किये बिना जो ब्यापक हित में था उसे लागू किया।
हमारे देश में भी बिना कठोर कदम उठाये सब लोगों को खुश करने वाली नीति पे चल कर कोई भी बदलाव सम्भव नहीं दीखता।अतः अब ये देखना होगा कि मोदी अपने असली परीक्षा में पास होते हैं या वो भी भारत के उन तमाम भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह ही अपना कर्यकाल पूरा करेंगे जिन्हे आज देश का सीधा साधा आम नागरिक जनता तक नहीं।फिलहाल तो उम्मीद ही कर सकते हैं कि मोदी भी इतिहास में जगह बनाने को प्रधानमंत्री बनने से ज्यादा महत्तव देंगे और ऐसा कुछ करेंगे कि उनका भी नाम देश के महानतम लोगों में आने वाली पीढ़िया याद करें। अन्यथा प्रधानमंत्री तो लोग हर लोकसभा चुनाव के बाद बनते ही हैं और फिर भूतपूर्व होने के बाद जल्द ही भुला दिए जातें हैं।
कल १६ मई को लोकसभा चुनाव का परिणाम आ जायेगा । अगर एग्जिट पोल के परिणामों को माने तो नरेंद्र मोदी का प्रधान मंत्री बनना तय माना जा रहा हैं लेकिन अब जो बात महत्वपूर्ण है वो ये हैं किआखिर देश में जो समस्याओं का पहाड़ खड़ा हैं उसको नरेंद्र मोदी कैसे पार करेंगे । समस्याएं भी ऐसी हैं की इसमें बहुत सी समस्याओं को खत्म करने के लिए कठोरतम कानून बनाने की जरूरत पड़ेगी और ऐसे में क्या उनकी पार्टी या एन डी ऐ की सहयोगी पार्टियों के सत्ता लोलुप अवसरवादी सांसद या अपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद वैसे किसी कानून का संसद में समर्थन करेंगे?हमारे देश में जहाँ लोगों को इतनी चर्बी चढ़ी हुई हैं कि एक ऑटोवालें को ३५ रूपया देने के बजाय मार दिया जाता हैं, और एक टोल बूथ पर टोल जमा करने वाले साधारण से आदमी को १८ रुपये देने के बजाय कोई उसे गोली मार कर चला जाता हैं।जहाँ वर्दी धारी सिपाही किसी साधारण नागरिक को इस लिए चलती ट्रैन से फेक देता हैं क्यूंकि वो साधारण व्यक्ति उस वर्दीधारी की ज्यादतियों का विरोध करने की हिम्मत करता हैं । ऐसे देश में बदलाव लाने के लिए इक्षा शक्ति की जरूरत होगी और नरेंद्र मोदी को अब्राहम लिंकन की तरह की इक्षा शक्ति दिखानी होगी, जिसने अमेरिका में गुलामी की प्रथा के उन्मूलन के लिए ऐसे कानून लागु किये जिसके बिरोध स्वरूप अमेरिका के सिविल वॉर में १० प्रतिशत लोगों की जाने गयी लेकिन अब्राहम लिंकन ने इन बातों की परवाह किये बिना जो ब्यापक हित में था उसे लागू किया।
हमारे देश में भी बिना कठोर कदम उठाये सब लोगों को खुश करने वाली नीति पे चल कर कोई भी बदलाव सम्भव नहीं दीखता।अतः अब ये देखना होगा कि मोदी अपने असली परीक्षा में पास होते हैं या वो भी भारत के उन तमाम भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों की तरह ही अपना कर्यकाल पूरा करेंगे जिन्हे आज देश का सीधा साधा आम नागरिक जनता तक नहीं।फिलहाल तो उम्मीद ही कर सकते हैं कि मोदी भी इतिहास में जगह बनाने को प्रधानमंत्री बनने से ज्यादा महत्तव देंगे और ऐसा कुछ करेंगे कि उनका भी नाम देश के महानतम लोगों में आने वाली पीढ़िया याद करें। अन्यथा प्रधानमंत्री तो लोग हर लोकसभा चुनाव के बाद बनते ही हैं और फिर भूतपूर्व होने के बाद जल्द ही भुला दिए जातें हैं।